कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
अंत में काम, क्रोध मद हारे, हे भोले तुम shiv chalisa in hindi जीते
गंगा जटा में तुम्हारी, हम प्यासे यहाँ ॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
अंत काल को भवसागर में उसका बेडा पार हुआ॥
स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
त्रिपुरारी की शरण में आओ चैन मिले जीवन shiv chalisa lyricsl का,
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
लिङ्गाष्टकम्
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
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